Ghazal Sher
रविवार, 5 जून 2016
मेरा हमसफ़र जो अजीब है
मेरा हमसफ़र जो अजीब
है
, तो अजीबतर हूँ मैं भी;
मुझे जिन्दगी की खबर नहीं, उसे रास्तों का पता नहीं!
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