लिख दिया अपने दर पे किसी ने, इस जगह प्यार करना मना है;
प्यार अगर हो भी जाये किसी को, इसका इजहार करना मना है..!
उनकी महफ़िल में जब कोई जाये, पहले नजरें वो अपनी झुकाये;
वो सनम जो खुदा बन गये हैं, उनका दीदार करना मना है..!
जाग उठेंगे तो आंहें भरेंगे, हुस्नवालों को रुसवा करेंगे;
सो गये हैं जो फुरकत के मारे, उनको बेदार करना मना है..!
हमने की अर्ज़ ऐ बंदापरवर, क्यूँ सितम ढा रहे हो ये हम पर;
बात सुनकर हमारी वो बोले, हमसे तकरार करना मना है..!
सामने जो खुला है झरोखा, खा ना जाना कतील कहीं धोखा;
अब भी अपने लिए उस गली में, शौक-ए-दीदार करना मना है..!
शायर: कतील शिफाई
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