Ghazal Sher
सोमवार, 2 जनवरी 2017
कोई मुस्कुरा दे तो
सीने पे तीर खा कर भी अगर कोई मुस्कुरा दे तो......
निशाना लाख अच्छा हो मगर बेकार जाता है....
तुम कहीं और के मुसाफिर हो
हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो
हमारा शहर तो.. बस यूँ ही. रास्ते में आया था !!!!
मैं आदमी होता चला गया
नफ़रत का भाव मैं ज्यों-ज्यों खोता चला गया
रफ़्ता-रफ़्ता मैं आदमी होता चला गया।
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)