Ghazal Sher
सोमवार, 2 जनवरी 2017
मैं आदमी होता चला गया
नफ़रत का भाव मैं ज्यों-ज्यों खोता चला गया
रफ़्ता-रफ़्ता मैं आदमी होता चला गया।
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