Ghazal Sher
सोमवार, 2 जनवरी 2017
तुम कहीं और के मुसाफिर हो
हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो
हमारा शहर तो.. बस यूँ ही. रास्ते में आया था !!!!
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