Ghazal Sher
रविवार, 17 अप्रैल 2016
तेरी ज़मीनों पे आसमां बन के आयेंगे;
तेरी ज़मीनों पे आसमां बन के आयेंगे;
तेरे ख़यालों में ध्यान बन के आयेंगे|
हम आदमी हैं, अपना लो आदमी की तरह;
ना अपनाया, तो भगवान बन के आयेंगे|
हम कॉलेज में आये थे रुसवाई लेकर;
अब जो लौटेंगे तो पहचान बन के जाएंगे|
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